ग्वालियर- अपनी मौत की मिस्ट्री में कैसे उलझ गया पुलिस का ही एक दरोगा उलझ गया और 17 साल पहले महिला कांस्टेबल की हत्या कर फरार हुआ अब यह एएसआई फिर सलाखों के पीछे है। ग्वालियर में एक महिला सिपाही की हत्या के मामले में जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा दरोगा पैरोल से जम्प करके फरार हो गया था। इसके बाद परिवार के वालों ने षड़यंत्र पूर्वक उत्तराखंड त्रासदी में उसे मरना बता दिया। एक दिन जब उसके दोस्त ने पहचान लिया तो बेटों ने उसकी हत्या की कोशिश की। भंडा फूटा तो बेटों के साथ-साथ फर्जी मौत की खबर फैलाने वाला दरोगा भी पकड़ा गया।
ग्वालियर के एसपी ऑफिस में पदस्थ दरोगा भगवान दास कुशवाह ने साल 2000 में सिपाही रेखा भटनागर की हत्या कर दी थी। मुरार पुलिस ने उसे हत्या के मामले गिरफ्तार भी कर लिया था। साथ ही कोर्ट ने उसे हत्या में दोषी पाते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस बीच भगवान दास पैराल पर आता रहता था। साल 2013 में भी पैरोल पर आया ओर फिर लौटा नही। परिवार वालों से पूछताछ हुई तो पता वह उत्तराखंड गए है। वहां त्रासदी होने के बाद से उनका कुछ पता नही लगा है। परिवार के लोगों ने इस संबधं में कलेक्टर ओर ऑफिस में मुआवजें की अर्जीयां भी दी। लेकिन जब भगवान दास अपने घर वापस नही लौटा, तो उसे परिवार वालों ने मृत घोषित कर दिया। इस बीच भगवान को उसके पुराने दोस्त ब्रजमोहन ने देख लिया।
जब उसने पूछा कि उसकी मौत की खबर चल चुकी है, जबकि वह जिंदा है। इससे घबराकर भगवानदास ने अपने बेटो से अपने ही दोस्त की हत्या करानी चाही। लेकिन उसका दोस्त बच गया। पुलिस की तफ्तीश जैसी ही शुरू हुई तो उसमें चैकानें वाले खुलासे समाने आएं। जिसके बाद पुलिस ने भगवान दास ओर उसके दोनों बेटे नरेंद्र ओर दशरथ गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही उनका रिमांड ले रही है। जिससे पता चल सकें कि इस बीच भगवान दास अपनी मौत का रहस्य छुपाने के लिए किसी ओर को मौत के घाटे उतार तो नही है।