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किसान आंदोलन का आठवां दिन अन्य प्रदेशों के किसान जुड़े आंदोलन से…
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अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने समर्थन में पद्म विभूषण सम्मान वापिस करने का किया ऐलान…
नई दिल्ली/ चंड़ीगढ़ – नये कृषि बिलों को वापिस लेने की मांग को लेकर देश के किसान लगातार आंदोलन कर रहे है पिछले आठ दिन से हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन और धरना दे रहे है इस दौरान गाजीपुर सिंघु बार्डर और टिकरी बार्डर सहित अन्य मुहानों पर जाम लगने से पुलिस और किसानों के बीच कई बार तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई, इधर शिरोमणि अकाली दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण का सम्मान किसानों के समर्थन में बापस करने की घोषणा की हैं। जबकि 5 दिसंबर को पूरे देश के किसान इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले हैं जिससे केंद्रीय सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बड़ने वाली हैं।
किसानों की प्रमुख मांगो में तीनों कृषि बिल बापस हो और एमएसपी कानूनी अधिकार बने इसके अलावा स्वामीनाथन रिपोर्ट हूबहू लागू हो डीजल के रेट 50 फीएसदी किये जायें किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे मुकदमें बापस लिये जाये, एमएसपी के साथ मंडी सिस्टम पूर्ववत बना रहे, और एनसीआर में लगाया वायु प्रदूषण एक्ट बापस लिया जाये यह सभी मांगे किसानों की 17 सूत्रीय मांगों में शामिल है।
ऐसा नही हैं कि पंजाब हरियाणा के किसान ही इस आंदोलन में शामिल है पहले उत्तर प्रदेश कर्नाटक महाराष्ट्र गुजरात उत्तराखंड के किसान संगठन इसमें शामिल हुए है अब राजस्थान मध्यप्रदेश बिहार जम्मूकश्मीर से भी आवाज उठने लगी है इन राज्यों के जम्मू जमशेदपुर बागपत ग्वालियर सीकर पलवल त्रिची सहित अनेक शहरों में भी किसान आंदोलन की राह पर हैं।
इधर आज अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों की मांगों के समर्थन में अपना पद्म भूषण सम्मान बापस देने के घोषणा आज की है और इसकीं जानकारी चिट्ठी लिखकर उन्होंने राष्ट्रपति को दे दी हैं।साथ ही शि.अ.दल डेमोक्रेटिक के नेता सुखदेव सिंह ढीढसा ने भी अपना राष्ट्रीय सम्मान बापस करने का ऐलान कर सरकार को जल्द निर्णय लेने की एक तरह से चेतावनी दी हैं।
खास बात है कि 2019 के संसदीय चुनावों के दौरान जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से पर्चा दाखिल कर रहे थे तो उन्होंने अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया था आज अकाली दल और बीजेपी के बीच दूरियां काफी बढ़ गई है उनकी पार्टी अकाली दल आज एनडीए से अलग हो गई हैं।