दतिया / दतिया के प्राचीन रतनगढ़ माता मंदिर पर दीवाली पर लगने वाले लख्खी मेले में करीब 32 लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए और कुंवर बाबा के दरबार में सर्पदंश पीड़ित हजारों लोगों के बंध काटे गए। इस दौरान ग्वालियर और दतिया के जिला प्रशासन ने पुख्ता व्यवस्थाएं मंदिर परिसर और आने जाने वाले मार्गो पर की।
रतनगढ़ माता मंदिर पर शनिवार से प्रारम्भ हुये लख्खी मेला में रविवार दोपहर तक करीब 32 लाख श्रद्धालु मंदिर पहुंच कर दर्शन कर चुके हैं प्रशासन ने भी ऐसी संभावना व्यक्त की है । परसों रात से ही श्रद्धालुओं के रतनगढ़ पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था जो रविवार को भी जारी रहा। मध्यप्रदेश सहित उत्तर प्रदेश राजस्थान सहित अन्य राज्यों के शहर और ग्रामीण क्षेत्रो से यहां श्रद्धालु पहुंचे और सिंध नदी के किनारे बीहड़ों के बीच ऊपर अटारी पर स्थित रतनगढ़ वाली माता के दर्शन कर मनोकामनाएं मांगी कहते है यहां आने वाले श्रृद्धालु मंदिर पर एक कपड़ा बांध कर अपनी मांग की पर्ची लगाते है और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो परिवार सहित माता के दर्शन करने आते है।
इसके साथ ही यहां सर्पदंश से पीड़ित भी भारी संख्या में पहुंचते हैं मान्यता है कि जहरीले सांप के काटने के बाद कुंवर बाबा के नाम का बंध लगाया जाता है जिसे शरीर में जहर नहीं फैलता यहां आकर वह बिल्कुल ठीक हो जाते है लेकिन जब वह नदी पार करते है तो उनका,शरीर सर्प की तरह ऐठने लगता है और वे बेहोश भी हो जाते है देखा जाता है उनके परिजन उन्हें कंधे पर उठाकर ऊपर कुंवर बाबा के मंदिर लाते है और यहां मौजूद संत और पुजारी कुंवरबाबा के मंदिर पर उनके नाम का झाड़ा लगाकर उनके सर्पदंश के बंध काटते है यह सिलसिला सैकड़ों सालों से यू ही चलता चला आ रहा है और सर्पदंश के पीड़ित यहां ठीक होकर खुशी खुशी माता और बाबा के जयकारे लगाते हुए वापस घर जाते है। गोवर्धन पूजा के बाद कल रात से ही सर्पदंस पीड़ित भी रतनगढ़ पहुंच रहे थे यह मेला सर्पदंश पीड़ितों के लिए खास है।

कभी चंबल के इन बीहड़ों में दस्युओं की घोड़ो की टापों और गोलियों की गड़गड़ाहट गूंजती थी और इन भरको में दिन में भी आने के नाम से लोग काँपते थे लेकिन पिछले 30 साल में यहां की तस्वीर बिल्कुल बिल्कुल बदल गई है, अब रतनगढ़ में जंगल में मंगल हो रहा है यहां लगने वाले दो दिवसीय मेले में तकरीबन 30- 35 लाख लोग पहुंचते हैं और रतनगढ़ वाली माता के दर्शन का लाभ लेने के साथ कुंवर बाबा के भी दर्शन श्रृद्धालु करते है।
दिवाली की गोवर्धन पूजा की पूर्व संध्या से ही श्रद्धालुओं के रतनगढ़ पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था जो आज रात तक भी जारी है श्रद्धालुओं के संग कल रात से सर्पदंस पीड़ित भी रतनगढ़ पहुंच रहे हैं ये मेला सर्पदंश पीड़ितों के लिए खास तौर पर प्रसिद्ध है l ये मान्यता है कि अगर किसी को सर्प काट ले और सर्पदंश पीड़ित को परिजन या अन्य क़ोई व्यक्ति रतन गढ़ माता या कुंवर बाबा के नाम का बंध बांध दे तो उस व्यक्ति पर जहर का असर नहीं होता है मंदिर के पुजारी राजेश कटारे का कहना है कि ये रतन गढ़ वाली माता और कुंवर बाबा का चमत्कार है कि सर्प दंश पीड़ित ठीक हो जाते हैं l
इस दौरान ग्वालियर और दतिया का प्रशासन और पुलिस बल और अधिकारी बराबर मौजूद रहे। ग्वालियर की कलेक्टर रुचिका चौहान, दतिया कलेक्टर संदीप माकिन और ग्वालियर एसपी धर्मवीर सिंह दतिया के एसपी वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने भी यहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए। ग्वालियर की तरफ से आने वाले और दतिया की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं के बिना किसी गतिरोध के आने और गाड़ी पार्किंग की सुचारू व्यवस्थाएं दोनों जिलों के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बखूबी की जिससे किसी को भी आने जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। सैवड़ा के एसडीओपी अखिलेश पुरी गोस्वामी ने बताया कि अभी तक लगभग 32 लाख श्रद्धालु यहां आ चुके है और दर्शन कर चुके हैं यही सोमवार देर रात तक श्रद्धालुओं की आने का सिलसिला जारी रहेगा ऐसी संभावना है।