ग्वालियर — आज के दौर में बहुत कम लोग ऐसे होते है जो अपना जीवन दूसरों के लिए जीते है और ये सोचते है कि मारने के बाद भी उनका शरीर दूसरों के काम आ जाये सच्चे अर्थों में ऐसे ही लोग समाजसेवी कहे जाते है। … एक ऐसे ही सच्चे समाजसेवी भगवती प्रसाद सिंघल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ने उनकी अंतिम इच्छा को स्वीकार करते हुए उनका ना सिर्फ नेत्र दान कराया बल्कि उनका देह दान भी कराया।
… दरअसल भगवती प्रसाद सिंघल पेशे से वकील थे उनका पूरा जीवन समाज के वंचितों को न्याय दिलाने में बीता , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से उन्होंने जनता की सेवा भी की ..ग्वालियर के रवि नगर में रहने वाले 92 वर्षीय श्री सिंघल का बीते रोज निधन हो गया .. परिजन जब अंतिम संस्कार की तयारी कर रहे थे तब बड़े बेटे अजय सिंघल को पिता की टेबल पर दो पत्र रखे मिले पहला पत्र 10 अक्टूबर को लिखा गया था और दूसरा 16 नवम्बर को लिखा गया था जिसमें अंतिम इच्छा के रूप में नेत्र दान और देह दान की इच्छा जताई गई थी
… परिजनों ने श्री सिंघल की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए ग्वालियर के प्रतिष्ठित रतन ज्योति नेत्र चिकित्सालय के संचालक डॉ पुरेंद्र भसीन के माध्यम से नेत्र दान कराया वही ग्वालियर के ही जीआर मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एसके शर्मा की मौजूदगी में देह दान की प्रक्रिया पूरी की … परिजनों ने इस पुण्य काम को करने के बाद कहा कि भगवती प्रसाद सिंघल कहते थे कि मरने के बाद उनका शरीर किसी के काम आ सका तो उनका जीवन सार्थक हो जाएगा ..
उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान कर हमें बहुत सुकून मिल रहा है। … वहीँ डॉ एसके शर्मा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में ग्रेजुएशन और पीजी करने वाले स्टूडेंट्स को शव नहीं होने के चलते प्रेक्टिकल नॉलेज में बहुत परेशानी आती थी। .. जिसमें अब थोड़ी रहत मिलेगी उधर नेत्र चिकित्सक डॉ पुरेंद्र भसीन ने कहा कि भगवती प्रसाद जी भले ही आज दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी आँखे समाज को रोशन करती रहेंगी …