छिंदवाड़ा / मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में बेहद दर्दनाक हादसा सामने आया है जिसमें एक कुआं गहरा करने के दौरान एकाएक वह धसक गया जिसके मलबे में दबकर तीन लोगों की मौत हो गई मरने वालों में एक मां और उसका बेटा और मां का भांजा शामिल है खास बात है पत्थरों और मलबे के नीचे से तीनों खुद को बचाने की लगातार गुहार लगाते रहे लेकिन 22 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका और आखिर में तीनो ने दम तोड़ दिया।
छिंदवाड़ा जिले के खूनाझिर खुर्द गांव के रहने वाले एशराव मेहरा के खेत में बने कुएं को गहरा करने का काम हो रहा था, जिसके लिए भोपाल और राजस्थान की टीम को ठेका दिया गया था इसके लिए कॉन्ट्रेक्टर ने अपने 6 मजदूरों के साथ काम शुरू किया था मंगलवार को करीब 4 बजे जब मजदूर नीचे खुदाई का काम कर रहे थे तभी अचानक ऊपर की मिट्टी नीचे धसक पड़ी इस बीच तीन मजदूर ऊपरी मलबा हटाकर किसी तरह बाहर निकल आये लेकिन एक महिला मजदूर शहजादी खान (50 साल) उसका बेटा राशिद (18 साल) और शहजादी का भांजा बाशिद (18 साल) बाहर नहीं निकल सके और निचे फंस गए इस बीच वह नीचे से लगातार पत्थर और मलबा हटाकर उन्हें बाहर निकालने के लिए आवाजें देते रहे बताया जाता है शहजादी पत्थरों के बीच फंसी थी जबकि दोनों युवक मिट्टी के मलबे में दब गए थे।
इस बीच खबर मिलने पर स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंच गया साथ ही स्थानीय लोगों के साथ साथ शाम 5 बजे SEDRF की टीम भी राहत एवं बचाव कार्य में जुटी रही करीब 7 बजे नीचे दवे मजदूरो की आहट मिली जो नीचे से बचाओ बचाओ की आवाज लगा रहे थे इस बीच इन मजदूरों के रिश्तेदार और परिजन भी घटना स्थल पर पहुंचना शुरू हो गए थे करीब रात 8 बजे महिला शहजादी के पति नन्ने खान ने पत्नी और बच्चों से बात भी की उसने बाद रात 12 बजे भोपाल से NDRF की टीम भी आ गई रात 1 बजे पॉकलेन और जेसीबी मशीन से कुएं से करीब 45 फीट दूर गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया जिससे नीचे टनल बनाकर उन्हें निकाला जाए।
लेकिन इस बीच कुएं की दीवार से मिट्टी नीचे गिरती रही जबकि उससे पहले प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर कुएं में जाली भी लगा दी थी देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा लेकिन बुधवार सुबह 4 बजे जब रेस्क्यू टीम ने कुएं में आवाज लड़ाई तो नीचे से कोई जवाब नहीं आया। इस तरह 24 घंटे तक चले ऑपरेशन बाद भी फिलहाल मजदूरों को बचाया नहीं जा सका साथ ही उनके शवों को भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। जबकि रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
जानकारी के मुताबिक मरने वाले मजदूरों में शहजादी बानो पत्नी नन्ने खान (50 साल) उसका बेटा राशिद (18 साल) तुलसीपार बुधनी के रहने वाले थे जबकि शहजादी का भांजा बाशिद (18 साल) पुत्र कल्लू खान सुलतानपुर जिला रायसेन का निवासी था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इनकी मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए परिवार को इस दुख को सहन करने की ईश्वर से प्रार्थना की है साथ ही सरकार ने मृतकों के परिवार को 4 – 4 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा भी की है।
लेकिन सवाल उठते है कि जब रात 8 बजे तक यह तीनों जिंदा थे फिर कहा चूक हुई जिससे तीनों की मौत हो गई क्या रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मिट्टी ऊपर से और धसक गई। यदि मशीनों की जगह कुछ लोग नीचे उतारकर धीरे धीरे ऊपर से मिट्टी हटाई जाती तो क्या इनकी जान बचाई जा सकती थी? जेहन में यह ख्याल उठना भी लाजमी है।